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राष्ट्रपति ने राज्यपाल को डाक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की

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भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने आज  धर्मशाला में हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के 7वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुई और संबोधित किया। हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला के सातवें दीक्षांत समारोह में बतौर अति विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित राज्यपाल श्री शिव प्रताप शुक्ल ने भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु को प्रदेशवासियों की ओर से हिमाचल पधारने पर स्वागत किया।
उन्होंने उपाधि प्राप्त करने वालों को बधाई देते हुए कहा कि दीक्षांत समारोह वह यादगार क्षण है, जो भविष्य में और प्रगति करने के लिए इस उच्च संस्थान के विशेष योगदान का स्मरण करवाता है। यह क्षण सृजनात्मकता, ज्ञान व आजीवन शिक्षा प्राप्ति की सतत् आकांक्षा की शुरूआत है। उन्होंने कहा कि उपाधि एवं पदक प्राप्त करने वाले सभी छात्र-छात्राओं के लिए आज आत्म-मन्थन का दिन भी है। वे अपनी अभी तक की चुनौतियों और उपलब्धियों पर दृष्टि डालें और विचार करें कि यहां तक की उनकी यात्रा कैसी रही। उन्होंने कहा कि यह अपनी दुर्बलताओं और श्रेष्ठताओं को पुनः पहचानने का समय है।
शुक्ल ने कहा कि उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं और मेडल विजताओं की समाज, राष्ट्र और राज्य के प्रति एक अहम् भूमिका है, जिसे उन्हें पूरी निष्ठा के साथ निभाना होगा। उन्होंने कहा कि उन्होंने जो विश्वविद्यालय से अर्जित किया है वह समाज के हितसाधन में काम आएगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय जैसे उच्च शिक्षण संस्थान ही मानवीय मूल्यों को स्थापित कर सकते हैं तथा नैतिक मूल्यों और उच्च आदर्शों के द्वारा ही भारत की ज्ञान-चेतना को पुनः प्राप्त किया जा सकता है।
राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा का महत्त्व जीवन को सोद्देश्यपूर्ण चरितार्थ करने में है। दूसरों के लिए स्वयं के हितों का त्याग करने में है। उन्होंने कहा कि जब तक स्वार्थ की बलिवेदी पर परमार्थ की ज्योति प्रकाशित नहीं होगी, श्रेष्ठ भारत का स्वरूप हमारे सामने नहीं आ सकता। उन्होंने कहा कि शिक्षकों का दायित्व बहुत बड़ा और समाज पर दूरगामी प्रभाव डालने वाला होता है। शिक्षक ही वह धूरी है, जिसके चारों तरफ शिक्षित एवं सुसंस्कृत समाज की नई पौध तैयार होती है। उन्होंने कहा कि शिक्षक अपने विद्यार्थियों को इस तरह अच्छे सांचे में ढ़ालें ताकि वे समाज मंे एक सुशिक्षित, ईमानदार, सुसंस्कृत और जागरुक नागरिक की भूमिका निभा सकें।
उन्होंने कहा कि मौजूदा परिप्रेक्ष्य में विद्यार्थियों को अपने कार्यों में तेजी व गुणवत्ता लाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए। इसके लिए ई-शिक्षा तथा तकनीकी विचार-विमर्श पर ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा, अनुसंधान व विस्तार के क्षेत्रों में नई ऊंचाइयां प्राप्त करने के लिए प्रतिस्पर्धात्मक भावना को बढ़ावा देना होगा ताकि इस विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त करने के बाद हमारे डिग्रीधारक विश्वभर मेें अपने आप को स्थापित कर सकें। इस अवसर पर, भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने राज्यपाल श्री शिव प्रताप शुक्ल को डाक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की।